न्यूज पोर्टल खर्च नहीं बल्कि निवेश….
भागदौड़ भरी जिन्दगी में खबरों की आवश्यकता सभी सवा सौ करोड़ देशवासीयों को है,हर व्यक्ति देश के ताज़ातरीन हाल से बाखबर होकर खुद को अपडेट रखना चाहता है, वर्षों पूर्व खबरों के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों की निर्भरता प्रिंट मीडिया, और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर थी, समाचार संस्थानों में आज हुई घटना की सूचना कल या और अगले दिन पहुँचने की कमजोर कड़ी शामिल थी, और टीवी मीडिया में घटना होने के लगभग १ या दो घंटे के भीतर संप्रेषण की ताक़त रही | किन्तु प्रिन्ट मीडिया यानी समाचार पत्र की बाध्यता है जैसे कि –
वह जितनी संख्या में छपेगा, अधिकतम उतने ही लोगो तक या परिवारों तक पहुँच पाएगा |
खर्च का आंकलन किया जाए तो भी समाचार पत्र का खर्च बहुत अधिक है |
समाचार पत्र लोगों तक भिजवाना कठिन है |
समाचार पत्रों की उम्र अधिकतम 8 से 10 घंटे होती है|
अभी हाल में हुई किसी भी घटना का समाचार कम से कम एक दिन बाद उपलब्ध होगा |
समाचार पत्रों की सीमाएँ होने के साथ बेहतर विकल्प न उपलब्ध हो पाने से समाचार संस्थान अपनी नियत गति से चल रहे थे, किन्तु डिजीटलाईजेशन के दौर में न्यू मीडिया के आ जाने से समाचारपत्रों की पहुँच में वेब मीडिया, सोशल मीडिया ने सेंध लगाना शुरु कर दी है | द्रुतगति से भेजे जाने वाले समाचारों और सूचनाओं के इस जाल का आधुनिक युग में महत्वपूर्ण स्थान बन चुका है |
भारत की जनता में तेजगति से इंटरनेट के बड़ते चलन और इस्तेमाल से मीडिया का क्षेत्र भी अधूरा नहीं हैं | सूचना क्रांति ने प्रत्येक व्यवसाय और प्रकल्प की दुनिया में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है | तकनीकीरूप से सक्षम न होने पर हानी और पहुँच से दूर हो जाना भी मीडिया संस्थानों में भय बना रहा है |
इस तारतम्य में न्यू मीडिया ने ‘न्यूज पोर्टल’ शब्दावली का ईजाद करते हुए न्यूज वेबसाइट का चलन शुरू कर दिया | न्यूज वेबसाइट इंटरनेट पर उपलब्ध एक वेबजाल है जिसके माध्यम से पी आर बी एक्ट का अनुपालन करते हुए समाचारों का संप्रेषण किया जाता है | वैसे तो भारत सरकार द्वारा न्यूज साइट्स को लेकर कोई विशेष गाइडलाइन नहीं बनाई है, किन्तु देश में जिस तरह से डिजिटलाइजेशन का प्रचार-प्रसार हो रहा उसको देखते हुई जल्द ही न्यू मीडिया के संबंधित व्यवस्थित रूपरेखा और निर्देशिका , नियमावली आ जाएगी |
चुकी पिछले दशक तक इंटरनेट से समाचार संस्थानों को जोड़ना या इस तरह का कोई प्रयोजन करना भी आर्थिक रूप से खर्च बड़ाना और फ़िजूल का बोझ शुरू करना माना जाता था, किंतु समय के साथ वर्तमान में इंटरनेट पर आपके समाचार संस्थान की उपस्थिति नहीं होना आपको पिछड़ा संस्थान सिद्ध करने में कोई कमी नहीं छोड़ेगा |
वर्तमान समय में आपके समाचारपत्र का डोमेन आपके पास न होने भी एक बहुत बड़ा ख़तरा है , उदाहरण के लिए मान लीजिए आपके समाचार पत्र को आपनेरजिस्टार ऑफ न्यूज़पेपर्स फॉर इंडिया (RNI) से पंजीयन करवा रखा है और नियमित आप 20000 कापी का प्रकाशन कर उसे जनता के बीच उपलब्ध करवा रहे है, किंतु किसी ने आपके समाचार पत्र के नाम से डोमेन बुक करवा कर न्यूज पोर्टल बना कर कार्य शुरू कर दिया तो वैधानिक रूप से आप उसे नकार नहीं सकते, क़ानून की किताब में समाचार पत्र का पंजीयन एक अलग जगह से होता है, और डोमेन अलग जगह से और वैसे भी सरकारी तंत्र में इसकी कोई निर्देशिका यानियमावली नहीं होने से यह संभव है | इस बीच आपके समाचारसंस्थान की लोकप्रियता का संपूर्ण लाभ उस न्यूज पोर्टल को मिलेगा जो आपके समाचार पत्र के नामसे संचालित है | विधिक रूप से आप उसे न्यायिक चुनौती भी नहीं दे सकते | इसी हिसाब से आपको अपने समाचार पत्र के नाम से तुरंत ही न्यूज पोर्टल भी शुरूकर देना चाहिए अन्यथा आपकी लापरवाही आपके लिए ही ख़तरा बन कर सामने आएगी |
तो आज ही आपने समाचार संस्थान को डिजिटल दुनिया से जोड़िए और न्यूज पोर्टल का निर्माण करवाईए | न्यूज पोर्टल खर्च नहीं बल्कि निवेश है जो भविष्य में एक बेहतरीन आय का विकल्प भी बनेगा | क्योंकि भविष्य का बिल गेट्स अब आपरेटिंग सिस्टम नहीं बनाएँगा, लैरी पेज अब गूगल ही बना कर करोड़ों का व्यापार नहीं करेगा, और न ही मार्क जुकरबर्ग कोई फेसबुक फिर से बना कर अरबपति बनेगा , बल्कि भविष्य का धनकुबेर डिजिटल बिजनेस से और यहाँ तक क़ि नये और कलात्मक , उर्जात्मक प्लान से बनेगा |
आप भी शामिल हो सकते है भविष्य के धन कुबेर बनने की सूची में, क्योंकि न्यूज पोर्टल, इंटरनेट टीवी, वेब न्यूज चैनल अब भविष्य के बेहतरीन करियर विकल्प है |
बेहतर न्यूज पोर्टल बनवाने के लिए आज ही संपर्क करें, उक्त सन्दर्भ में कोई भी प्रश्न हो तो आप इसी वेबसाइट के कांटेक्ट मेन्यू में जा कर प्रश्न पूछ सकते है| हमारी टीम आपके सवालों का जल्दी ही जवाब देगी |